ठाकुर साहब और शर्मा जी बरसों पुराने दोस्त हैं , और अक्सर शाम को गांधी चौक की एक किरयाने की दूकान में गपशप मारने पहुँच जाते हैं। ज़िन्दगी भर दोनों दोस्त शायद ही कभी किसी राजनीतिक दल से जुड़े , पर रिटायरमेंट के बाद, समय गुजारने के लिए देश की राजनीति पर घंटों बहस करते, और दुकानदार दोनों की हाँ में हाँ मिलाता और चुपचाप मुस्कुराता रहता। दुकानदार को शाम ढले दोनों का इंतज़ार रहता है , क्यूंकि कम से कम चार कप मुफ्त की चाय मिल जाती है और वक़्त भी कट जाता है।
परन्तु जब आज ठाकुर साहब दूकान में पहुंचे तो आज माजरा कुछ बदला हुआ था , ठाकुर साहब आज कुछ उदास लग रहे थे, हाथो में छाता लेकर वे चुपचाप खड़े हो कर शर्मा जी का इंतज़ार कर रहे थे , उनको देख कर दुकानदार अशोक बोला- "अरे ठाकुर साहब आईये- आईये बेठिये, शर्मा जी भी आते होंगे "... ठाकुर साहब ने कुछ बिना कहे, बस मुस्कुरा कर अशोक की और देखा। अशोक ने भांप लिया था की आज ठाकुर साहब कुछ तो परेशान हैं, पर उसे ये भी पता था की वे सिर्फ शर्मा जी से ही अपनी ज़िन्दगी के दुःख दर्द को बांटते है। अभी अशोक सोच ही रहा था की वो कुछ कहे , शर्मा जी भी आ पहुंचे ।
शर्मा जी तो आज अपनी धुन में थे, आते ही बस शुरू हो गए- "अब बताओ , बज गया न भाजपा का बाजा !!" शर्मा जी तो पूरे जोश में थे, अभी ठाकुर साहब कुछ कह पाते, शर्मा जी बोले -"अरे भाजपा का एनडीए तो चुनावो से पहले ही टूट गया,चले थे सरकार बनाने!!" शर्मा जी की बातो में कटाक्ष और व्यंग झलक रहा था। परन्तु ठाकुर साहब ने कोई उत्तर नहीं दिया, और चुप चाप सुनते रहे।जबकि होता यूँ था, की बहस शुरू हो जानी चाहिए थी , पर आज अशोक और शर्मा जी दंग थे, क्यूंकि ऐसा कुछ नहीं हुआ था।
शर्मा जी ने ठाकुर साहब की आँखों में देखा, और पूछा - "यार सब ठीक ठाक तो है ? आज कुछ गुमसुम लग रहे हो".. यह सुनते ही ठाकुर साहब का चेहरा भाव् विहिल हो आया, ना जाने कब उनकी आँखों में नमी भर आई, जैसे वो खुद चाह रहे थे, की कोई उनका हाल पूछे, मुश्किल से खुद को सँभालते हुए बोले - "आज डॉक्टर के पास गया था,वो मस्तिष्क की जांच करवाने के लिए, कुछ टेस्ट कल हुए थे, आज रिपोर्ट आ गयी है"... इतना कह कर वो चुप हो गए और शुन्य में ताकते हुए महसूस हुए। शर्मा जी को आत्मग्लानि हो रही थी। व्यग्रता से शर्मा जी ने किसी अनहोनी की आशंका से शंकित हो कर पुछा- "अच्छा!!क्या कहा डॉक्टर ने ? अरे सब ठीक तो है ना?"
"शर्मा जी, मुझे मस्तिष्क में ट्यूबर क्लोसिस है, और दुसरे चरण में है "- ठाकुर साहब सिर झुका कर बोले, " मै अब फिर यहाँ नहीं आऊंगा, डॉक्टर ने मुझे आराम करने को कहा है, और जब से ये बात बहु को पता चली है, उसने तो बात करना भी बंद कर दिया है, और आज सुबह मैंने बेटे को बहु से कहते सुना की पापा से बच्चो और खुद को दूर रखना, जल्दी ही में इनके अलग रहने का कुछ करता हूँ और तो और आज तो बहु ने चाय तक को नहीं पूछा। रोज़ समक्ष और आयशा(पोता -पोती) मेरे पास आ कर कहानियां सुनने आते थे, पर आज नहीं आये"..
इस पर शर्मा जी और अशोक एक दम सन्न रह गए थे। रिटायरमेंट के बाद ठाकुर साहब अपने बेटे के यहाँ रह रहे थे, और यह मकान भी ठाकुर साहब ने अपने बेटे को खरीद कर दिया था, पत्नी का देहांत हुए ७ साल हो गए थे, और अब उनकी दुनिया में चंद लोग रह गए थे , जिनसे वो मिलते जुलते थे , और बीमारी के पता चलने के बाद ठाकुर साहब को अपनी दुनिया सिमटते हुए नज़र आ रही थी, शायद इसीलिए वो बहुत दुखी थे।
शर्मा जी ने अपने आप को सँभालते हुए कहा -" अरे बस इतनी सी बात !!! यार पहली बात तो यह है की टीबी शरीर में कही भी हो सकता है , और हर टीबी संक्रामक हो यह जरुरी नहीं है। रही बात दिमाग के टीबी की, तो जहा तक मुझे पता है टीबी की यह किस्म संक्रामक बिलकुल नहीं होती। और ये तो सच है की तुमको आराम करना चाहिए और तुरंत इसका इलाज़ शुरू करना चाहिए, जो तुमने कल से शुरू कर ही दिया है। बाकी ७ महीने की दवाई को रोजाना बिना भूले खाना, तुम एक दम ठीक हो जाओगे। "
शर्मा जी ने उत्साहित हो कर कहा -" रही बात तुम्हारे बहु बेटे की तो शायद इतना पढ़ा लिखा होने के बाद भी वो इतनी गंवार बात कैसे कर सकते है। मै समझाऊंगा उन दोनों को! तुम चिंता मत करो, तुम भले ही यहाँ ना आओ, अरे हम आ जायेंगे तुम्हारे पास चाय पीने के लिए, आखिर अगले चुनाव की चर्चा कौन करेगा ? मोदी और नतिश हो या एनडीए बनाम यूपीए ?"
ठाकुर साहब की आँखों से अश्रु बह निकले, वे उठे और शर्मा जी को गले लगा लिया, दोनों मित्र भावुक हो उठे। ठाकुर साहब पर इन बातो का इतना गहरा असर हुआ की वो सारा दुःख और मानसिक तनाव का बोझ भूल ही गए। अशोक भी दोनों की मित्रत्ता को देख कर स्तब्ध और प्रसन्न था, शायद ही उसने कभी इन दोनों की मित्रत्ता की गहराई को समझा था।
उत्साह और प्रसन्ता में अशोक ने जोर से चाय वाले को आवाज दे कर कहा - "अरे भगतु !!! ३ स्पेशल चाय!! जल्दी ले कर आजा , आज पैसे में दूंगा। " और उसकी इस बात पर तीनो एक साथ ठहाका मार कर हंस पड़े, मानो कुछ हुआ ही ना हो,.....