शाम होने को थी , बहुत थक गया था , कॉलेज से हॉस्टल पहुंचा ही था , बैग एक तरफ फेंक कर बिस्तर पर धड़ाम से गिरा,न जाने कब आँख लग गयी , एक तो घर से बहुत दूर नागपुर के एक कॉलेज में MCA करने आ गया था , कॉलेज के प्रथम वर्ष में हॉस्टल में स्थान मिला , और बस तब से अलग अलग राज्यो से आये छात्रो से मिलना हुआ , पहले कुछ दिन तो मन नहीं लगा पर धीरे धीरे सब ठीक हो गया। एक दिनचर्या बन गयी थी , शायद इसी कारण वश में व्यस्त रहता था और घर और अपने मित्रो के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता और यूँ ही में रम गया। सब कुछ सामान्य हो गया। हॉस्टल के सामने एक चाय की छोटी सी दूकान थी और दूकान का मालिक उड़ीसा से सम्बन्ध रखता था और छात्रों ने उसका नाम ही "उड़ी " रख दिया था, हम शाम के समय और सुबह उसकी दूकान में चाय पीने ज़रूर जाते , चाय के अलावा बिस्कुट , मैगी और ब्रेड ओम्लेट भी बना देता। उसका धंधा काफी अछा चल रहा था। जब भी हम चाय पीने जाते , तो चाय देने के लिए एक छोटी सी लड़की आती , जो शायद आठ - दस वर्ष कि रही होगी। एक पुरानी फटी फ्रॉक , मेला चेहरा , बिखरे हुए बाल और चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान उसकी पहचान थी, छोटी थी पर बहुत सायानी थी। मेरी उससे बहुत बनती थी , जब भी जाता बहुत सारी बातें करते , बस समय का पता ही नहीं चलता था।
उस दिन मैं दूकान पर पहुंचा तो देखा वो दूकान पर नहीं आयी थी , उडी ने चाय दी , में उड़ी को बिस्किट की और इशारा करके बोला - " भाई बिस्कुट दे दे यार !! बहुत भूख लगी है , पता नहीं मेस में शर्मा जी कब खाना बनाएंगे ?" उड़ी ने बिना कुछ कहे , बिस्कुट का पैकेट दे दिया और अपने काम में लग गया , आज उड़ी बर्तन मांज रहा था , यह काम ज्यादातर , वो छोटी लड़की करती थी। उत्सुकता थी पर पूछा नहीं। चाय-बिस्कुट ख़त्म करके में हॉस्टल वापिस लौट आया।
अगले दिन कॉलेज से वापिस लौट कर आ रहा था ,की उस छोटी लड़की को देखा , में लगभग चहकते हुए , उड़ी की दूकान पर पहुंचा... "गुड़िया कल कहां थी ? " मैंने पहुँचते ही पहला सवाल किया। आज उसके चेहरे से वो हंसी गायब थी. उसने उदास से चेहरे से मेरी और देखा और बर्तन मांजने लगी , मुझे कुछ अटपटा सा लगा , अपनी झुंझलाहट को दबाते हुए में उड़ी को बोला -"भाई एक चाय देना "। उड़ी ने चाय बनायीं - और ज़ोर से गुड़िया से बोला "ऎ बर्तन बाद में करना , चल चाय दे साब को" वो बर्तन को लगभग पटकते हुए उठी, और चाय ले कर मेरे पास आ गयी। वो चाय देकर वापस जा ही रही थी , मैं आहिस्ता से बोला "क्या हुआ मुझ से गुस्सा क्यों है , कुछ गलती कि मैंने … ?" वो मुड़ी और मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली " नहीं भैया!! मैं क्यों गुस्सा हूंगी भला ? ".... "तो फिर आज तू बात क्यों नहीं कर रही?" मैं शिकायती अंदाज़ मैं बोला। "छोटे भाई का हाथ टूट गया है , अस्प्ताल में है , माँ और मैं कल वहाँ गए थे , कल काम पर आ नहीं पायी , उड़ी पैसे काट लेगा, भाई अभी २ साल का है , माँ आज उसे काम पर साथ ले गयी है "- उसने उदास चेहरे से कहा। मैं सकपका गया , अनायास ही मुंह से निकला " क्यों तुम्हारे पापा कहाँ है ?" "जेल में है , गांजा बेचता था, तीन साल के लिए जेल हो गयी , अब माँ और मैं ही घर का खर्च चला रहे है। " - वो मुझ से आँखे मिला कर बोली और जा कर वापिस बर्तन मांजने लगी.… मुझे जैसे काठ मार गया था. ना मैं कुछ कह पाया , बस पथराई सी आँखों से उसे देख रहा था , एक आंसू ना जाने कहाँ से निकल आया , मैं उठा और बांह से अपनी आँख पोंछ कर देखा , कही किसी ने मुझे देखा तो नहीं … ढलते सूरज को देख , उड़ी को पैसे थमा कर मैं बस चल दिया। ढलते सूरज को देख कर, भारी कदमो से चलते हुए , मुझे वो एहसास हो रहा था , जो गरीबी , मज़बूरी के लिबास में लिपटी हुई उस गुड़िया को हो रहा होगा। वो लाचारी और माहोल मुझे चिढ़ा रहा था, मैं दूर चला जाना चाहता था , मैं बस चलता जा रहा था, एक लाचार इंसान की तरह … एक अपाहिज़ इंसान की तरह........
Showing posts with label small girl. Show all posts
Showing posts with label small girl. Show all posts
Tuesday, December 10, 2013
Subscribe to:
Posts (Atom)
Secret of Universe
Secret our universe... 10 Directions, 26 dimensions 18 Directions, No Dimension can exist 36 Dimensions, no direction can exist.. I dont h...
-
Dear friends, It took a long day today.. but yes I have resolved my CONSISTENT I945LM4/AMPTRON I945LM4 FRONT PANNEL sett...
-
After a long hiatus, I embarked on a journey back to my village in the beautiful state of Himachal Pradesh. This trip turned out to be a fan...
-
1) छत पर अछी तरह झाडू लगाए.. मिट्टी पूरी तरह से साफ कर दे..(समय shaam 4 से 7 बजे) 2)अगर छत पर काले रंग की kaai उगी है तो उसे लोहे के ब्रश ...