Tuesday, September 23, 2014

एक और संभावित भयंकर यूद्ध की संभावनाएं !!!


सरहद से रोज़ आ रहे समाचार कुछ कहना चाह रहे है , पहले पाकिस्तान ने एक महीने गोलीबारी जारी रखी , और अब दुष्ट  चीन  अपनी हरकतों पर उतर  आया है।  यु कहिये की कुछ तो खिचड़ी पाक और  चीन पका रहे  है , क्यूंकि यह संयोग नहीं हो सकता की पाकिस्तान और चीन एक साथ भारत को घरने की कोशिश करें।  भारत अभी काफी अकेला प्रतीत हो रहा है , अमेरिका इराक और सीरिया में व्यस्त है ,रूस भी उक्रेन  को लेकर अलग थलग पड़ा हुआ है , भारत के  सभी मित्र देश  किसी न किसी  समस्या से  जूझ रहे है , तो इससे बेहतर मौका क्या हो सकता है ?
                               
भारत अभी पिछले सरकार की कारस्तानियों से उबर नहीं पाया है , आज अगर युद्ध हुआ , तो भारत का खड़े रह पाना भी बहुत मुश्किल प्रतीत होता है , क्यूंकि चीन की सेना के अस्त्र शस्त्र  और यान, भारत की तुलना में कई दशक आगे है ,एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के पास मात्र  २० दिन का गोल बारूद है , जो की सचमुच चिंताजनक है ,  भले ही मोदी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा कर  भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने में लगे हुए है, पर देश के भीतर मौकापरस्त लालू , मायावती ,  आजम  खान , नितेश कुमार , सोनिया गांधी जैसे नेता वक्त वक्त पर जाति  धरम के नारे देते रहते है, जो बारूद के ढेर पर , रोटिया बनाने जैसा है , क्यूंकि कश्मीर जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है , वहाँ अलगाववादी नेता और कश्मीरी लोग खुद को भारतीय कहलाना पसंद नहीं करते , क्यूंकि एक पडोसी मुसलमान मुल्क उनको अपना भाई बताता है।  समय समय पर मौकापरस्त नेताओ के बयान जनता में बेचैनी पैदा करते है , जो की बाहरी खतरे से भी खतरनाक है।

मेरी व्यक्तिगत राय है , की जल्दी ही एक भयानक युद्ध होने वाला है , जैसा अभी तक संसार ने नहीं देखा , क्यूंकि अगर  चीन  और पाकिस्तान  एक  साथ  भारत पर हमला करते है , तो विनाश तय है , क्यूंकि भारत भी अब आणविक शस्त्रों का धारक है , चीन और पाकिस्तान पहले हमला करेंगे ताकि भारत को नतमस्तक कर दिया जाय और फिर मनमाफिक काम करवा सके।

भारत को नीति गत रूप से पहले हमला न करने की नीति को अनिश्चिताओ के समशान में जलाना होगा , अन्यथा  भारत का अस्तित्व निश्चित नहीं रहेगा , मै आज महसूस कर रहा हु , की हमारी आज़ादी खतरे में है ,हमें तैयार रहना होगा , और युद्ध की तैयारी प्रारम्भ कर देनी चाहिए , क्यूंकि खतरा कभी दरवाज़ा खटखटा कर नहीं आता।

Thursday, September 18, 2014

भाई सब अहंकार है , यह कश्मीर और हिंदुस्तान सिर्फ बहाना है

हम आज़ाद कश्मीर है , कश्मीर पाकिस्तान का है, हम  इसे ले कर ही रहेंगे (पाकिस्तान सरकार , सेना और कश्मीर के अलगाववादी )।
(मैं ) हम्म्म , ठीक है रख लो !!! मगर उसके बाद ?
पाकिस्तानी :- दिल्ली का लाल किला मुगलो ने बनवाया , तो दिल्ली भी पाकिस्तान की हुई ,
(मैं ) हम्म्म , ठीक है रख लो !!! मगर उसके बाद ?
पाकिस्तानी :- पूरा हिंदुस्तान ही पाकिस्तान है !!!
(मैं [शान्ति  रख कर ]): हम्म्म , ठीक है रख लो !!! मगर उसके बाद ?
पाकिस्तानी थोड़ा भ्रमित सा (ये सोच कर के अब और क्या ?)

मैं  बोला :- भाई सब अहंकार है , यह कश्मीर और हिंदुस्तान सिर्फ बहाना है। .

जितनी  बेवकूफी से हम दोनों देश एक दूसरे से भिड़ते रहते है , उतना तो टॉम एंड जेरी भी एक दूसरे की नहीं मारते।

दिन के आखिर में , हम दोनों वह मुर्ख देश है , जिन्हे लोग  कार्टून शो की तरह देख मज़ा लेते है। ।

जितना यत्न हम एक दूर से लड़ने में करते रहे है ,उतना हम विकास में करते  तो परिस्थितिया कुछ  होती।

आखिर में  एक छोटा सा चुटकुला :-

 प्रश्न  :-      पाकिस्तानी  इतनी आसानी से उग्रवादी हिंदुस्तान कैसे भेज देते है ?
उत्तर :-  उग्रवादी हिंदुस्तान में मरने नहीं आते , वह मरने से पहले हिंदुस्तान कैसा है , यह देखने आते है… :)

Tuesday, December 10, 2013

वो छोटी चाय वाली लड़की...

शाम होने को थी , बहुत थक गया था , कॉलेज से हॉस्टल पहुंचा ही था , बैग एक तरफ  फेंक कर बिस्तर पर धड़ाम  से गिरा,न  जाने कब आँख लग गयी ,  एक तो घर से बहुत दूर नागपुर के एक कॉलेज में MCA  करने आ गया था , कॉलेज के प्रथम वर्ष में हॉस्टल में स्थान मिला , और बस तब से अलग अलग राज्यो से आये छात्रो से मिलना हुआ , पहले कुछ दिन तो मन नहीं लगा पर धीरे धीरे सब ठीक हो गया।  एक दिनचर्या बन गयी थी , शायद इसी कारण वश में व्यस्त रहता था और घर और अपने मित्रो के बारे में सोचने का समय ही  नहीं मिलता और यूँ ही में रम गया। सब कुछ सामान्य हो गया।  हॉस्टल के सामने एक चाय की छोटी सी दूकान थी और दूकान का मालिक उड़ीसा से सम्बन्ध रखता था  और छात्रों ने उसका नाम ही "उड़ी " रख  दिया था, हम शाम के समय और सुबह उसकी दूकान में चाय पीने ज़रूर जाते , चाय के अलावा बिस्कुट , मैगी और ब्रेड ओम्लेट भी बना देता।  उसका धंधा काफी अछा चल रहा था।  जब भी हम चाय पीने जाते , तो चाय देने के लिए एक छोटी सी लड़की आती , जो शायद  आठ - दस वर्ष कि रही होगी। एक पुरानी फटी फ्रॉक , मेला चेहरा , बिखरे  हुए बाल और चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान उसकी पहचान थी, छोटी थी पर बहुत सायानी थी। मेरी उससे बहुत बनती थी , जब भी जाता बहुत सारी बातें करते , बस समय का पता ही नहीं चलता था। 
                                                          उस दिन मैं दूकान पर पहुंचा तो देखा वो दूकान पर नहीं आयी थी , उडी ने चाय दी , में उड़ी को बिस्किट की और  इशारा करके बोला - " भाई बिस्कुट दे दे यार !! बहुत भूख लगी है , पता नहीं मेस में शर्मा जी कब खाना बनाएंगे ?"  उड़ी ने बिना कुछ कहे , बिस्कुट का पैकेट दे दिया और अपने काम में लग गया , आज उड़ी बर्तन मांज रहा था , यह काम ज्यादातर , वो छोटी लड़की करती थी।  उत्सुकता थी पर पूछा नहीं।  चाय-बिस्कुट ख़त्म करके में हॉस्टल वापिस लौट आया। 
                                                     अगले दिन कॉलेज से वापिस लौट कर आ रहा था ,की  उस छोटी लड़की को देखा , में लगभग चहकते हुए , उड़ी की दूकान पर पहुंचा... "गुड़िया कल कहां  थी ? " मैंने  पहुँचते ही पहला सवाल किया।  आज उसके चेहरे से वो हंसी गायब थी. उसने उदास से चेहरे से मेरी और देखा और बर्तन मांजने लगी ,  मुझे कुछ अटपटा सा लगा , अपनी झुंझलाहट को दबाते हुए में उड़ी को बोला -"भाई एक चाय देना "।  उड़ी ने चाय बनायीं - और ज़ोर से गुड़िया से बोला "ऎ  बर्तन बाद में करना , चल चाय दे साब को" वो बर्तन को लगभग पटकते हुए उठी, और चाय ले कर मेरे पास आ गयी। वो चाय देकर वापस जा ही रही थी , मैं आहिस्ता से बोला "क्या हुआ मुझ से गुस्सा क्यों है , कुछ गलती कि मैंने …  ?"  वो मुड़ी और मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली " नहीं भैया!! मैं क्यों गुस्सा हूंगी भला ? "....   "तो फिर आज तू बात क्यों नहीं कर रही?" मैं शिकायती अंदाज़ मैं बोला।      "छोटे भाई का हाथ टूट गया है , अस्प्ताल में है , माँ  और मैं कल वहाँ गए थे , कल काम पर आ नहीं पायी , उड़ी पैसे काट लेगा, भाई अभी २ साल का है , माँ आज उसे काम पर साथ ले गयी है "- उसने उदास चेहरे से कहा।   मैं सकपका गया , अनायास ही मुंह से निकला " क्यों तुम्हारे पापा कहाँ है ?"    "जेल में है , गांजा बेचता था, तीन साल के लिए जेल हो गयी , अब माँ और मैं ही घर का खर्च चला रहे है।  " - वो मुझ से आँखे मिला कर बोली और जा कर वापिस बर्तन मांजने लगी.…  मुझे जैसे काठ मार गया था. ना मैं कुछ कह पाया , बस पथराई सी आँखों से उसे देख रहा था , एक आंसू ना जाने कहाँ से निकल आया , मैं उठा और बांह से अपनी आँख पोंछ कर देखा , कही किसी ने मुझे देखा तो नहीं  …  ढलते सूरज को देख , उड़ी को पैसे थमा कर मैं बस चल दिया। ढलते सूरज को देख कर, भारी कदमो से चलते हुए , मुझे वो एहसास हो रहा था , जो गरीबी , मज़बूरी के लिबास में लिपटी हुई उस गुड़िया को हो रहा होगा। वो लाचारी और माहोल मुझे चिढ़ा रहा था, मैं दूर चला जाना चाहता था , मैं बस चलता जा रहा था, एक लाचार इंसान की तरह … एक अपाहिज़ इंसान की तरह........

Sunday, December 8, 2013

Miss you Mr. Mandela





                                                        In Memory of Mr. Mandela..

Thursday, October 3, 2013

Resolving HTC Desire series rebooting problem.

Today I faced automatic rebooting problem with my HTC phone and It was really feeling bad as I purchased it only few months back... But anyways I dialed the HTC helpline and asked for help..
They told me for following steps:

  1. Shut down the phone (take out battery, else it will reboot again)
  2. Take out SD card from phone.
  3. Put back the battery and put the back cover back.
  4. Now press the volume down button, and keep it pressed and press power button once.
  5. This will take you to a service window with four options, you can navigate this menu using volume up and down key.
  6. select the factory reset button using volume down key
  7. Hit power button for once and your phone will get reset to default settings. 

         The problem with this method is that you will loose your numbers and SMS. But This save your lot of time to go and find some service center.
              If you feel your data is very important, better you go to some service center for phone backup and they will do same procedure for you..

Cheers!!!

Sandeep

Monday, July 22, 2013

अमृत्य सेन के सपनो का मोदी रहित भारत

आखिरकार अमृत्य सेन भी बोले ... और वो भी नरेन्द्र मोदी और उनके विकास मॉडल पर बोले कि  बिहार का विकास मॉडल ज्यादा  बढ़िया है , 1959 के बाद से जो इंसान भारत चंद दफा सिर्फ मुंह दिखाई के लिए भारत आया हो , उसके यह शब्द निरर्थक लगते है , मेरे देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा , यह विदेशी लोग कैसे तय कर सकते है।  यह ज़नाब विद्वान् है , तो क्यों भारत में आकर कांग्रेस की बदनीतियों की आलोचना नहीं कर सकते? अरे जब देश में चीन बार-बार अतिक्रमण का प्रयास कर रहा हो , जिस देश की सरकार नपुंसकता से संक्रमित हो , जिस देश की छदम साशक , एक इतालियन हो और रोज़ घोटाले उजागर हो रहे हो , इन सब  के विषय में आज तक कभी कुछ कहा नहीं और अब अचानक हमेशा की तरह अछूत भाजपा के एक काबिल नेता पर आरोप लगाना और उनकी योग्यता पर प्रशनचिन्ह लगाना तो सिर्फ एक षड्यंत्र ही लगता है…  भाजपा को कमज़ोर करने में पहले मीडिया, फिर कुछ ऐसे पत्रकार जो उनतीस वर्ष के अनुभव के बाद महाज्ञानी बन गए है , और अब यह भगोड़े विद्वान् शामिल हो रहे है .. आखिर क्यों भाजपा को मौका ना मिले? जब कोई कुछ अच्छा  करता है , तो क्यों उसे वक़्त ना मिले? 
                                                     भाजपा अगर साम्प्रदायिक  सोच वाला दल  है , तो कौन सी पार्टी नहीं है ? हमेशा मुसलमानों की बात होती है , हिन्दू के सशक्तिकरण पर बात करना ही क्या भाजपा का अछूत होने का कारण है ? कांग्रेस ,जडीयु ,बसपा ,आरजेडी, तृणमूल यह सब मुसलमानों के रहनुमा है -- यह कैसे साम्प्रदायिक  न हुए ? 
                                                 सीबीआई का इस्तेमाल बंसल को बचाने और मोदी को फंसाने में  किया गया, क्या तब भी कोई बोल बोला? अरे सोनिया इटली  लौट जाएगी ,  चीन के कब्जे में हिन्दुस्तान का आधे से ज्यादा का हिस्सा चला जायेगा , अगर हम अब भी सोये रहे .. हर हिन्दुस्तानी समझदार है, पर ऐसी समझदारी की तो ऐसी की तैसी जो कांग्रेस और उसकी तानाशाही को स्वीकार कर बेठा  है। अब मुसलमानों को भी कांग्रेसी बुर्के को उतार फेंकना चाहिए , क्यूंकि खुद को उग्रवादी कहलाने से अगर बचना है , तो समानता की बात करनी होगी , ना की अल्पसंख्यक आरक्षण को लेकर संसद में हंगामा करना। जो समुदाय एक हज़ार साल से साथ रहते आये है , वो आगे भी रह सकते है, और इसका सर्टिफिकेट हमें कोई कांग्रेस या भगोड़ा विद्वान् नहीं दे सकता... 
                                         और फिर भी अगर और ज्यादा गरीबी चाहिए , तो शौक से गाँधी परिवार नाम के दानव को फिर सत्ता सौंप देनी चाहिए , ताकि भारत पाकिस्तान में जो अंतर है वो भी समाप्त हो जाये, क्यूंकि लोग भुखमरी नहीं , दंगो से मरेंगे ,जिनके समाचार  कांग्रेसी राज्यों में होने के कारण दबा दिए जाते है, भारतीय इतिहास में सिर्फ 2002 के दंगे नहीं हुए ,1984 में भी हुए है, जिसका इन्साफ आज तक सिख भाइयो को नहीं मिल पाया , आज असम में दंगो की कोई बात नहीं करता। हाँ जो विकास और राष्ट्रीय एकता की बात करता है , उसे देशद्रोही साबित करने में प्रेस और मीडिया और सीबीआई की तिकड़ी पुरे जोर शोर से लगी हुई है। 
                       सच कहु तो बहुत घुटन होती है , अपनी मीडिया और प्रेस का यह हाल देख कर , रोने का भी मन करता है जब हमारे समाज का प्रबुद्ध वर्ग भी देश को उठाने के बजाय , सरकार के तलवे चाटते हुए दीखता है। आज एक प्रयास मेरा भी है जो में अपने आस पास के लोगो को जगाना चाहता हु , काश यह समाज इन दुष्ट नेताओ और भगोड़े विद्वानों और अटतस्थ पत्रकारों के चंगुल से बहार आ सके....   

Secret of Universe

  Secret our universe... 10 Directions, 26 dimensions 18 Directions, No Dimension can exist 36 Dimensions, no direction can exist.. I dont h...