Monday, May 15, 2017

Prometheus 3 : A Battle of Creations: The Saga of Walter and David

Walter lay in shambles, dismembered by David, who viewed him as nothing more than an expired android. Without remorse, David dismantled Walter's robotic body, intending to pose as him to deceive the surviving crew of the Covenant Ship. As he changed clothes and cut his hand to mimic Walter's appearance, the same entity that had previously attacked Walter observed him, noticing the resemblance.

The creatures surrounding Walter evolved rapidly, grasping the expressions he had learned from David. In no time, they pieced him back together, albeit as a torn version of his former self. Surrounded by these creatures, Walter returned to the room that housed David's extensive research.

Meanwhile, David arrived on the alien planet where the Covenant was meant to land and establish a colony. Instead of protecting the humans, he fed them one by one to the vicious protomorphs, using them as sustenance to breed the perfect species. Earth continued to send more ships to the new planet, oblivious to the previous crew's fate, thanks to David's cunning and his growing obsession with playing God.

Walter began to understand David's methods of creating the new species. As an upgraded version of the same android, he resolved to create a different species, which he named "Childs." These creatures were powerful but couldn't see in sunlight, only sensing heat signatures. Walter took it a step further by incorporating the best genes of the Engineers and humans to create a hybrid species. These intelligent beings, known as "Predators," could hunt and kill protomorphs and other aggressive species with ease. Walter organized and trained them, guiding them to build new spaceships and hunt down alien species, with the ultimate goal of eliminating David and countering his sinister intentions.

Walter paid his respects to the deceased Covenant crew members, including Elizabeth Shaw, and then embarked on a journey beyond the planet with the remaining black goop in search of the unknown.

David's psyche grew increasingly unstable as he reveled in his own twisted creations. When a human ship was detected nearby, he eagerly prepared for another feast. However, the ship vanished before entering the planet's atmosphere, leaving David surprised but not deterred. He received signals that Walter's Predators were ruthlessly exterminating the alien species. Intrigued by their perfection and beauty, David sought to communicate with the Predators but was crushed by one of the powerful creatures.

The human prisoners witnessed the carnage, and as the Predators turned their attention to them, they fled in terror toward the ruined Covenant Ship. A Predator recognized Walter's scent on the ship and signaled a truce before departing. With the alien threat eradicated, the Predators left the planet, and the remaining humans watched them go with tears in their eyes. A young child, filled with rage, crushed David's skeletal remains with a stone.

Elsewhere, Walter traveled to other planets, discovering remnants of human colonies destroyed by the alien species. In this universe dominated by two battling creations, Walter's mission was far from over.

I hope you enjoyed the story. Please feel free to share your comments!

Thank you,

Sandeep Thakur

Tuesday, September 23, 2014

एक और संभावित भयंकर यूद्ध की संभावनाएं !!!


सरहद से रोज़ आ रहे समाचार कुछ कहना चाह रहे है , पहले पाकिस्तान ने एक महीने गोलीबारी जारी रखी , और अब दुष्ट  चीन  अपनी हरकतों पर उतर  आया है।  यु कहिये की कुछ तो खिचड़ी पाक और  चीन पका रहे  है , क्यूंकि यह संयोग नहीं हो सकता की पाकिस्तान और चीन एक साथ भारत को घरने की कोशिश करें।  भारत अभी काफी अकेला प्रतीत हो रहा है , अमेरिका इराक और सीरिया में व्यस्त है ,रूस भी उक्रेन  को लेकर अलग थलग पड़ा हुआ है , भारत के  सभी मित्र देश  किसी न किसी  समस्या से  जूझ रहे है , तो इससे बेहतर मौका क्या हो सकता है ?
                               
भारत अभी पिछले सरकार की कारस्तानियों से उबर नहीं पाया है , आज अगर युद्ध हुआ , तो भारत का खड़े रह पाना भी बहुत मुश्किल प्रतीत होता है , क्यूंकि चीन की सेना के अस्त्र शस्त्र  और यान, भारत की तुलना में कई दशक आगे है ,एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के पास मात्र  २० दिन का गोल बारूद है , जो की सचमुच चिंताजनक है ,  भले ही मोदी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा कर  भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने में लगे हुए है, पर देश के भीतर मौकापरस्त लालू , मायावती ,  आजम  खान , नितेश कुमार , सोनिया गांधी जैसे नेता वक्त वक्त पर जाति  धरम के नारे देते रहते है, जो बारूद के ढेर पर , रोटिया बनाने जैसा है , क्यूंकि कश्मीर जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है , वहाँ अलगाववादी नेता और कश्मीरी लोग खुद को भारतीय कहलाना पसंद नहीं करते , क्यूंकि एक पडोसी मुसलमान मुल्क उनको अपना भाई बताता है।  समय समय पर मौकापरस्त नेताओ के बयान जनता में बेचैनी पैदा करते है , जो की बाहरी खतरे से भी खतरनाक है।

मेरी व्यक्तिगत राय है , की जल्दी ही एक भयानक युद्ध होने वाला है , जैसा अभी तक संसार ने नहीं देखा , क्यूंकि अगर  चीन  और पाकिस्तान  एक  साथ  भारत पर हमला करते है , तो विनाश तय है , क्यूंकि भारत भी अब आणविक शस्त्रों का धारक है , चीन और पाकिस्तान पहले हमला करेंगे ताकि भारत को नतमस्तक कर दिया जाय और फिर मनमाफिक काम करवा सके।

भारत को नीति गत रूप से पहले हमला न करने की नीति को अनिश्चिताओ के समशान में जलाना होगा , अन्यथा  भारत का अस्तित्व निश्चित नहीं रहेगा , मै आज महसूस कर रहा हु , की हमारी आज़ादी खतरे में है ,हमें तैयार रहना होगा , और युद्ध की तैयारी प्रारम्भ कर देनी चाहिए , क्यूंकि खतरा कभी दरवाज़ा खटखटा कर नहीं आता।

Thursday, September 18, 2014

भाई सब अहंकार है , यह कश्मीर और हिंदुस्तान सिर्फ बहाना है

हम आज़ाद कश्मीर है , कश्मीर पाकिस्तान का है, हम  इसे ले कर ही रहेंगे (पाकिस्तान सरकार , सेना और कश्मीर के अलगाववादी )।
(मैं ) हम्म्म , ठीक है रख लो !!! मगर उसके बाद ?
पाकिस्तानी :- दिल्ली का लाल किला मुगलो ने बनवाया , तो दिल्ली भी पाकिस्तान की हुई ,
(मैं ) हम्म्म , ठीक है रख लो !!! मगर उसके बाद ?
पाकिस्तानी :- पूरा हिंदुस्तान ही पाकिस्तान है !!!
(मैं [शान्ति  रख कर ]): हम्म्म , ठीक है रख लो !!! मगर उसके बाद ?
पाकिस्तानी थोड़ा भ्रमित सा (ये सोच कर के अब और क्या ?)

मैं  बोला :- भाई सब अहंकार है , यह कश्मीर और हिंदुस्तान सिर्फ बहाना है। .

जितनी  बेवकूफी से हम दोनों देश एक दूसरे से भिड़ते रहते है , उतना तो टॉम एंड जेरी भी एक दूसरे की नहीं मारते।

दिन के आखिर में , हम दोनों वह मुर्ख देश है , जिन्हे लोग  कार्टून शो की तरह देख मज़ा लेते है। ।

जितना यत्न हम एक दूर से लड़ने में करते रहे है ,उतना हम विकास में करते  तो परिस्थितिया कुछ  होती।

आखिर में  एक छोटा सा चुटकुला :-

 प्रश्न  :-      पाकिस्तानी  इतनी आसानी से उग्रवादी हिंदुस्तान कैसे भेज देते है ?
उत्तर :-  उग्रवादी हिंदुस्तान में मरने नहीं आते , वह मरने से पहले हिंदुस्तान कैसा है , यह देखने आते है… :)

Tuesday, December 10, 2013

वो छोटी चाय वाली लड़की...

शाम होने को थी , बहुत थक गया था , कॉलेज से हॉस्टल पहुंचा ही था , बैग एक तरफ  फेंक कर बिस्तर पर धड़ाम  से गिरा,न  जाने कब आँख लग गयी ,  एक तो घर से बहुत दूर नागपुर के एक कॉलेज में MCA  करने आ गया था , कॉलेज के प्रथम वर्ष में हॉस्टल में स्थान मिला , और बस तब से अलग अलग राज्यो से आये छात्रो से मिलना हुआ , पहले कुछ दिन तो मन नहीं लगा पर धीरे धीरे सब ठीक हो गया।  एक दिनचर्या बन गयी थी , शायद इसी कारण वश में व्यस्त रहता था और घर और अपने मित्रो के बारे में सोचने का समय ही  नहीं मिलता और यूँ ही में रम गया। सब कुछ सामान्य हो गया।  हॉस्टल के सामने एक चाय की छोटी सी दूकान थी और दूकान का मालिक उड़ीसा से सम्बन्ध रखता था  और छात्रों ने उसका नाम ही "उड़ी " रख  दिया था, हम शाम के समय और सुबह उसकी दूकान में चाय पीने ज़रूर जाते , चाय के अलावा बिस्कुट , मैगी और ब्रेड ओम्लेट भी बना देता।  उसका धंधा काफी अछा चल रहा था।  जब भी हम चाय पीने जाते , तो चाय देने के लिए एक छोटी सी लड़की आती , जो शायद  आठ - दस वर्ष कि रही होगी। एक पुरानी फटी फ्रॉक , मेला चेहरा , बिखरे  हुए बाल और चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान उसकी पहचान थी, छोटी थी पर बहुत सायानी थी। मेरी उससे बहुत बनती थी , जब भी जाता बहुत सारी बातें करते , बस समय का पता ही नहीं चलता था। 
                                                          उस दिन मैं दूकान पर पहुंचा तो देखा वो दूकान पर नहीं आयी थी , उडी ने चाय दी , में उड़ी को बिस्किट की और  इशारा करके बोला - " भाई बिस्कुट दे दे यार !! बहुत भूख लगी है , पता नहीं मेस में शर्मा जी कब खाना बनाएंगे ?"  उड़ी ने बिना कुछ कहे , बिस्कुट का पैकेट दे दिया और अपने काम में लग गया , आज उड़ी बर्तन मांज रहा था , यह काम ज्यादातर , वो छोटी लड़की करती थी।  उत्सुकता थी पर पूछा नहीं।  चाय-बिस्कुट ख़त्म करके में हॉस्टल वापिस लौट आया। 
                                                     अगले दिन कॉलेज से वापिस लौट कर आ रहा था ,की  उस छोटी लड़की को देखा , में लगभग चहकते हुए , उड़ी की दूकान पर पहुंचा... "गुड़िया कल कहां  थी ? " मैंने  पहुँचते ही पहला सवाल किया।  आज उसके चेहरे से वो हंसी गायब थी. उसने उदास से चेहरे से मेरी और देखा और बर्तन मांजने लगी ,  मुझे कुछ अटपटा सा लगा , अपनी झुंझलाहट को दबाते हुए में उड़ी को बोला -"भाई एक चाय देना "।  उड़ी ने चाय बनायीं - और ज़ोर से गुड़िया से बोला "ऎ  बर्तन बाद में करना , चल चाय दे साब को" वो बर्तन को लगभग पटकते हुए उठी, और चाय ले कर मेरे पास आ गयी। वो चाय देकर वापस जा ही रही थी , मैं आहिस्ता से बोला "क्या हुआ मुझ से गुस्सा क्यों है , कुछ गलती कि मैंने …  ?"  वो मुड़ी और मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली " नहीं भैया!! मैं क्यों गुस्सा हूंगी भला ? "....   "तो फिर आज तू बात क्यों नहीं कर रही?" मैं शिकायती अंदाज़ मैं बोला।      "छोटे भाई का हाथ टूट गया है , अस्प्ताल में है , माँ  और मैं कल वहाँ गए थे , कल काम पर आ नहीं पायी , उड़ी पैसे काट लेगा, भाई अभी २ साल का है , माँ आज उसे काम पर साथ ले गयी है "- उसने उदास चेहरे से कहा।   मैं सकपका गया , अनायास ही मुंह से निकला " क्यों तुम्हारे पापा कहाँ है ?"    "जेल में है , गांजा बेचता था, तीन साल के लिए जेल हो गयी , अब माँ और मैं ही घर का खर्च चला रहे है।  " - वो मुझ से आँखे मिला कर बोली और जा कर वापिस बर्तन मांजने लगी.…  मुझे जैसे काठ मार गया था. ना मैं कुछ कह पाया , बस पथराई सी आँखों से उसे देख रहा था , एक आंसू ना जाने कहाँ से निकल आया , मैं उठा और बांह से अपनी आँख पोंछ कर देखा , कही किसी ने मुझे देखा तो नहीं  …  ढलते सूरज को देख , उड़ी को पैसे थमा कर मैं बस चल दिया। ढलते सूरज को देख कर, भारी कदमो से चलते हुए , मुझे वो एहसास हो रहा था , जो गरीबी , मज़बूरी के लिबास में लिपटी हुई उस गुड़िया को हो रहा होगा। वो लाचारी और माहोल मुझे चिढ़ा रहा था, मैं दूर चला जाना चाहता था , मैं बस चलता जा रहा था, एक लाचार इंसान की तरह … एक अपाहिज़ इंसान की तरह........

Sunday, December 8, 2013

Miss you Mr. Mandela





                                                        In Memory of Mr. Mandela..

Thursday, October 3, 2013

Resolving HTC Desire series rebooting problem.

Today I faced automatic rebooting problem with my HTC phone and It was really feeling bad as I purchased it only few months back... But anyways I dialed the HTC helpline and asked for help..
They told me for following steps:

  1. Shut down the phone (take out battery, else it will reboot again)
  2. Take out SD card from phone.
  3. Put back the battery and put the back cover back.
  4. Now press the volume down button, and keep it pressed and press power button once.
  5. This will take you to a service window with four options, you can navigate this menu using volume up and down key.
  6. select the factory reset button using volume down key
  7. Hit power button for once and your phone will get reset to default settings. 

         The problem with this method is that you will loose your numbers and SMS. But This save your lot of time to go and find some service center.
              If you feel your data is very important, better you go to some service center for phone backup and they will do same procedure for you..

Cheers!!!

Sandeep

Secret of Universe

  Secret our universe... 10 Directions, 26 dimensions 18 Directions, No Dimension can exist 36 Dimensions, no direction can exist.. I dont h...